अनंत यात्रा पर निकले हिमाचल के दिलों का राजा, पंचतत्व में विलीन हुए वीरभद्र सिंह
शिमला,10 जुलाई
जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक राजा का नाम रहेगा। कौन आया कौन आया शेर आया शेर आया। राजा वीरभद्र सिंह का रामपुर स्थित महल आज इन्हीं जयघोषों से गूंजायमान रहा। वयोवृद्ध कांगे्रस नेता और हिमाचल में राजनीति के सबसे बड़े दिग्गज राजा वीरभद्र सिंह आज पंचतत्व में लिन हो गए। उनकी अंतिम विदाई पर न केवल रामपुर बलिक सारा हिमाचल रुआंसा हो उठा।
रामपुर से निकला सूरज हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया। राजा वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। हर आंख नम रही। आलम ये रहा कि रामपुर की सड़कें छोटी पड़ गई। स्थिति ये रही कि तिल धरने को जगह नहीं बची। जहां देखों लोगों का भारी हुजूम पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए आतुर दिखा। शुक्रवार शाम को राजा वीरभद्र सिंह का पार्थिक शरीर जैसे ही रामपुर पहुंचा वैसे पूरा राज दरबार राजा साहब अमर रहे के नारों से गूंज उठा। उनके पार्थिक देह को राज दरबार के सभागार में रखा गया जहां पर रात से ही लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए यहां पर पहुंचना शुरू हुए। ये प्रक्रिया शनिवार दोपहर तक बिना रूके चलती रही। दूर दराज क्षेत्रों से लोग राज दरबार पहुुंचे। जहां पर उन्होंने नम आंखों से राजा वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई दी। खासकर महिलाएं बड़ी सख्या में यहां पर पहुंची। उनका राजा वीरभद्र सिंह के प्रति स्नेह इस बात से झलक रहा था कि मानों उन्होंने अपने परिवार का एक सदस्य आज खो दिया हो। दोपहर 2 बजे तक राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रही। जब कतारें खत्म नहीं हुई तो राज परिवार ने ही लोगों से आग्रह किया कि अब वह राज दरबार प्रांगण में ही दर्शन करें। राज दरबार के प्रांगण में बमाण बनाया गया। जिसमें राजा वीरभद्र सिंह की पार्थिक देह को रखा गया और पूरी रीति रिवाज के साथ आगामी प्रक्रिया की गई। ये वो क्षण होता है जब एक सुहागिन से उसके सुहाग की निशानियां उतार दी जाती हैं। इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई।