08 मई 2023
बीना चौहान
भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा  संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में प्रातः 11 बजे हिमाचल प्रदेश के पारम्परिक लोकनाट्य, विषय पर परिचर्चा एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री अशवनी शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की जबकि अध्यक्षता
रंगकर्मी श्री अनिल मेहता ने की व मंच का संचालन साहित्यकार श्री रविन्द्र भट्टा ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की वन्दना से करते हुए मुख्यअतिथि व अन्य ने दीप
प्रज्जवलित कर किया। परिचर्चा में रामलाल पाठक ने जिला बिलासपुर के लोकनाट्य बाजा
और चन्द्रावली पर अपने विचार प्रकट किए। रविन्द्र शर्मा ने बताया कि चन्दरोली में तीन चार
लोग ही होते थे और लोगों के मनोरंजन का साधन हमारे यह लोकनाटय हुआ करते थे धाजा
अभी भी काफी प्रचलन में है और यह एक विशेष समुदाय में महत्व रखता है। कुलदीप चन्देल
ने कहा कि पुराने समय में वृदावन से कृष्ण लीला करने के लिए मण्डलियां आती थी और पूरी
रात भर मनोरंजन किया जाता था। सुशील पुण्डीर ने कहा कि विभाग का यह बहुत अच्छा
प्रयास है और इसके लिए एक कार्यशाला भी आयोजित की जाए ताकि हमारी युवा पीढ़ी भी
लोकनाटयों से जागरूक हो सके। अभिषेक सोनी ने खोल दो, खालिद की खाला, मोहणा नाटक
इत्यादि और डॉ० अनीता शर्मा ने कहा कि नाटक व लोकनाटय यह परम्परा बहुत समृद्ध है।
उन्होंने बताया कि चौधरी राम रच्छेडा घुमारवीं से चन्द्ररोली नाटक किया करते थे। फूला चन्देल
ने
गुरु शिष्य परम्परा पर प्रकाश डाला और कहा कि इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को सिखाया
जा सकता है। अनिल मेहता ने कहा कि विभाग के ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम चलते रहने चाहिए
जिसके लिए हमारा पूरा सहयोग रहेगा। अशवनी शर्मा ने कहा राम नाटक में कलाकार की
भूमिका निभानी बहुत ही कठिनाई वाला कार्य होता था। स्वांग का अर्थ नकल करना होता है।
इसके अतिरिक्त एस. आर. आजाद, सुरेन्द्र मिन्हास,
रविन्द्र भटटा, अनीश डोगरा ने भी अपने विचार प्रकट किए।
अन्त में जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने सभी का
आभार व्यक्त किया और कहा कि बहुउदेशीय सांस्कृतिक परिसर में शीघ्र ही राज्य स्तरीय नाट्य
उत्सव का आयोजन किया जाएगा जिसमें समकालीन व लोक नाट्य प्रस्तुत किए जाएंगे ।

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