*मेले तथा पर्व पुरातन संस्कृति के संवाहक: राखिल काहलों*
*सुंदरनगर में सात दिवसीय नलवाड़ मेले का किया शुभारंभ*
मंडी-सुंदरनगर,22 मार्च।
मेले और पर्व पुरातन संस्कृति के संवाहक है, जिसमें हमारी प्राचीन समृद्ध संस्कृति की झलक मिलती है। यह उद्गार सुंदरनगर में सात दिवसीय नलवाड़ मेला के शुभारंभ अवसर पर राखिल काहलों ने बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इससे पहले लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह से नागौण मैदान तक शोभायात्रा के दौरान खूंटा गाढ़कर तथा बैलों की पूजा करके विधिवत रूप से नलवाड़ मेले का आगाज किया। उन्होंने कहा कि यह मेला 500 वर्ष पूर्व सुकेत रियासत केराजाओं द्वारा प्रारंभ किया गया था, जिसकी पारम्परिक पहचान आज भी कायम है, जिसे संजोए रखने के लिए सुन्दरनगर के निवासी बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में सुन्दरनगर के नलवाड़ मेले को उत्तरी भारत के सबसे बड़े पशु मेले का गौरव प्राप्त था । लेकिन आज के युग में खेती में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग हो रहा है तथा खेती के लिए मैदानी क्षेत्रों में ट्रैक्टरों का प्रयोग किया जा रहा है वाबजूद इसके नलवाड़ मेले ने अपने स्वरूप को बरकरार रखा है।
रखिल काहलों ने जवाहर पार्क में लगाए गए किसान मेले और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगाई गई विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर मेला कमेटी के अध्यक्ष एवं एसडीएम सुंदर नगर गिरीश समरा ने मुख्य अतिथि का स्वागत संबोधन किया तथा नलवाड़ व किसान मेले के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि सुंदर नगर में पहली बार नलवाड़ मेले के साथ-साथ किसान मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। साथ ही किसानों से आग्रह किया कि वे इस किसान मेले में बढ़ चढ़कर भाग लें।
इस अवसर पर पद्मश्री नेकराम शर्मा, डीएसपी सुंदरनगर भारत भूषण, तहसीलदार सुंदरनगर अंकित शर्मा, बीडीओ सुंदरनगर विवेक चौहान, तहसीलदार निहरी केशव, ईओ नगर परिषद सुंदरनगर हितेश शर्मा, सीडीपीओ शिवसिंह वर्मा, टीडब्ल्यूओ धर्मशिला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
