भक्ति का पद पाने वाला ही मुक्ति का हकदार—-एच एस चावला

विनोद चड्ढा कुठेड़ा बिलासपुर

संत निरंकारी ब्रांच बिलासपुर के तहत बिलासपुर में जोनल स्तरीय विशाल सत्संग का आयोजन किया गया। इस समागम में एच एस चावला जी ने साध संगत को निहाल करते हुए कहा कि जिसकी भक्ति उसकी पूजा उसका ज्ञान जरूरी है। हमें प्रभु को जानकर भक्ति करनी है। हमें अपने जीवन में सहज अवस्था अपनानी है। जब हम अपने जीवन में सहज अवस्था को अपना लेंगे तो हमारे जीवन में आनंद ही आनंद होगा और हमें परमानंद की प्राप्ति होगी और जब हम सहज अवस्था अपनाकर भक्ति में लग जाते हैं तो हमारा बेड़ा पार हो जाता है। एच एस चावला जी ने कहा कि मुक्ति का हकदार वही है जो भक्ति का पद पाता है। हमें सद्गुरु द्वारा बताए गए पांचों प्रण का पालन करना चाहिए, तन मन धन निरंकार प्रभु का है हमें इसका अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि रावण , कंस व हिरण्यकश्यप को उनका अहंकार ही ले डूबा था और तो और स्वयं नारद मुनि भी अहंकार से नहीं बच पाए इसीलिए हमें हमेशा अहंकार से बचना है। जब मैं था तब हरि नहीं,अब हरि है तो मैं नहीं अर्थात जब तक हमारे अंदर अहंकार की भावना रहेगी तो हमें हरि की प्राप्ति नहीं होगी और जब हम मैं को मिटा देते हैं तो हमें हरी अर्थात नारायण की प्राप्ति हो जाती है।सुदीक्षा जी महाराज के जितने भी वचन आ रहे हैं हमें उन को मानकर भक्ति करनी है तभी हमारा बेड़ा पार होगा हम भवसागर से पार हो जाएंगे अर्थात हमें लख चौरासी के बंधन से मुक्ति मिल जाएगी और हम आवागमन के बंधन से मुक्त हो जाएंगे, हमें मोक्ष की प्राप्ति होगी जो मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। यह निरंकार प्रभु परमात्मा हमेशा हमारे अंग संग है और हमारी रक्षा कर रहा है। निरंकार का साकार रूप सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हैं , उनसे जो हमें ब्रह्म ज्ञान मिला है वह बहुत ही उच्च कोटि का है और हमारा बेड़ा पार करने वाला है। ज्ञान कर्म में ढल जाए, तो भक्ति का सिंगार है वरना जीवन बेकार है। जब तक ज्ञान व्यवहार में नहीं लाया जाएगा तब तक कुछ भी सही नहीं होने वाला है।
हमें सदैव सेवा सत्संग सुमिरन करते रहना चाहिए तभी हमारा भला होगा ।
हमें सद्गुरु के भाने में रहना आ गया तो हमारा कल्याण ही कल्याण होगा। हमें आपस में बहुत ही प्यार और सद्भाव के साथ रहना चाहिए। हमें हमेशा गुरु मत में रहना चाहिए, मन मत में नहीं। मन मत डुबो देती है और गुरु मत हमारा कल्याण कर देती है। हमारे जीवन में हमेशा शुकराने का भाव रहना चाहिए गिले-शिकवे का नहीं। हमें प्रभु परमात्मा का हर पल शुक्रिया अदा करते रहना चाहिए हर हाल में शुक्र मनाना चाहिए। सत्संग के लिए देवी देवता भी तरसते हैं क्योंकि हमें मुक्ति केवल मनुष्य योनि में ही मिलती है अन्य योनि में नहीं । इस मौके हमीरपुर जोन के जोनल इंचार्ज गोबर्धन शर्मा,क्षेत्रीय संचालक पवन राणा तथा सभी मुखी,सयोजक,ज्ञान प्रचारक,एवम सेवा दल के अधिकारी, मौजूद रहे।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *