लोहारा स्कूल में अंग्रेजी व हिंदी माध्यम में करवाई जा रही पढ़ाई : निशा गुप्ता 

अभिभावकों से सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का किया आह्वान
नेरचौक, 20 अप्रैल (बीना चौहान) उपमंडल बल्ह में  निजी स्कूलों की चकाचौंध से मुख मोड़ कर अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं  हालांकि कुछ समय से बदलते परिवेश के चलते निजी क्षेत्र में चलाए जा रहे शिक्षा संस्थान हावी हो चुके थे निजी स्कूलों का स्टैंडर्ड देख अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने को तरजीह दे रहे थे  लेकिन अब सरकारी स्कूलों के बेहतर संरचनात्मक ढांचे और बच्चों के सर्वांगीण विकास महत्व देते हुए अभिभावकों की रुचि में बदलाव आया है फलस्वरूप मौजूदा शिक्षा सत्र में अधिकतर बच्चे निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में अपना नामांकन करवा रहे हैं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लोहारा में भी इस सत्र में करीब दर्जनभर विद्यार्थी निजी स्कूल छोड़कर अपना नामांकन करवा चुके हैं प्रधानाचार्य निशा गुप्ता ने बताया कि स्कूल प्रबंधन अध्यापकों और स्कूल प्रबंधन समिति के आपसी सहयोग से स्कूल को एक बेहतर स्वरूप प्रदान किया गया है जिसमें की विद्यार्थियों को संस्कारित व गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के बेहतर से बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं  लोहारा स्कूल में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों में बच्चों को पढ़ाई करवाई जा रही है स्कूल के सभी  कमरों में बच्चों के बैठने के लिए डैसक की सुविधा, हवादार कमरे  खिड़कियों में शीशे जाली व परदो की सुविधा, आवश्यकता अनुरूप खेल मैदान लड़के, लड़कियों व स्टाफ के लिए अलग-अलग शौचालय तथा आईसीटी लैब , लाइब्रेरी की सुविधा प्रदान की जा रही है  प्रधानाचार्य ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता है बच्चों के स्वास्थ्य की जांच भी समय- समय पर करवाई जाती है  उन्होंने कहा कि स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अध्ययनरत विद्यार्थी ही प्रचार प्रसार में बेहतर भूमिका अदा कर रहे हैं और अपने भाई बंधुओं  व पड़ोसियों को स्कूल में नामांकन करवाने के लिए बोल रहे हैं स्कूल प्रबंधन समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य भी क्षेत्र के लोगों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित कर  रहे हैं  ताकि सरकार द्वारा बच्चों को दी जा रही विभिन्न प्रकार की  योजनाओं का लाभ उठाया जा सके  उन्होंने कहा कि अभिभावकों को सरकारी पाठ शालाओं के अध्यापकों की दक्षता व कार्यशैली को देखते हुए भी बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने से अभिभावकों  पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा कर अपने ऊपर पड रहे आर्थिक बोझ को कम कर सकते हैं और आसान जीवन यापन करते हुए बच्चों की  शिक्षा पर होने वाले अतिरिक्त खर्च  की बचत कर उस बचत  को बच्चों के भविष्य को  उज्जवल  और बेहतर बनाने के लिए उनकी उच्चतर शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए खर्च कर  सकते हैं  यही नहीं सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक होगी तो पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार के अवसर भी अधिक प्राप्त होगे शिक्षकों के पदों में बढ़ोतरी होगी और पाठशाला का ढांचागत विकास भी होगा सरकारी स्कूलों में अनुभवी अध्यापक शिक्षित व प्रशिक्षित होते हैं जो नई नई विधाओं से बच्चों को पढ़ाते हैं और उनके सर्वांगीण विकास को महत्व देकर संस्कारित शिक्षा प्रदान करते हैं उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया है कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्राथमिकता दें मौजूदा शिक्षा सत्र में स्कूल की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बच्चों के  नामांकन में बढ़ोतरी हो रही है। 

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